
मुंबई। मालेगांव विस्फोट मामले में 17 साल बाद बड़ी राहत मिली है। विशेष NIA अदालत ने मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए भरोसेमंद साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका, इसलिए केवल शंका के आधार पर सजा नहीं सुनाई जा सकती। अदालत ने सरकार को विस्फोट में मारे गए 6 लोगों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
विशेष जज ए के लोहाटी ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने विस्फोट तो साबित कर दिया, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि मोटरसाइकिल पर विस्फोट रखा गया था और वह मोटरसाइकिल प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी। यह मामला 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट से जुड़ा है, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 95 लोग घायल हुए थे। अदालत ने जांच की खामियां उजागर करते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं।
बताते चलें कि 29 सितंबर 2008 को मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में मस्जिद के पास मोटरसाइकिल से विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 घायल हो गए थे। मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय, अजय रहिकर, सुधाकर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी को आरोपी बनाया गया था। गुरुवार को सुबह सभी आरोपी कोर्ट में उपस्थित हुए। विशेष जज ने फैसला पढ़ना शुरू किया और कहा सभी आरोपियों के जमानत बांड रद्द किए जाते हैं और जमानतदारों को मुक्त किया जाता है।