
डॉ. रमेश खन्ना ( वरिष्ठ पत्रकार ) हरिद्वार। श्रावणमास में कांवड मेले पर आज से कुछ वर्ष पहले कॉवडिये श्रद्धा के पात्र हुवा करते थे। कंधे पर बांस की टोकरी की कांवड मे रखा 4 या 5 लीटर गँगा जल और बांस की कांवड पर प्लास्टिक के तोते, सर्प व खिलोनों की सजावट पर क्षेत्रीय भाषा के लोकगीत स्थानीय लोगों को भी पसन्द आता था। परन्तु बदले परिवेश मे कांवड का स्वरूप बदल गया है। अब 25 से 40 साल तक के युवा कॉवडिये जो विशुद्ध रूप से पिकनिक मनाने, गुंडागर्दी करने, पुलिस से भिडने, महिला पुलिस कर्मियों से अभद्रता करने और कार, आटो रिक्शाओं में आगजनी कर उन्हें लाठी, डंडो से तोड़फोड़ कर सड़क किनारे शराब, चरस, गुण्डागर्दी, स्मैक, भांग पीते हैं, ना इन्हें पुलिस खौफ है, ना शासन प्रशासन का। शासन तो इन कांवड वेशघारी कथित गुण्डों के चरण पखार कर इन पर हैलीकाप्टर से पुष्प वर्षा कर इनके कुकृत्यों की हौसला अफजाई करता है।
व्यापार मंडल विरोध के बजाय इन अधिकारियों को माला, शाले और सरोपा भेंट कर सम्मानित करता हैं। रात कांवडियों ने इनकी दुकाने ही हाकी डंडो से ध्वस्त कर दी। व्यापार मंडल के आका प्रशासन, पुलिस मूक रही हाई वोल्यूम डी० जे० पर भाक्ति संगीत तो दूर कानफाड पॉप म्यूजिक बजता हैं। हार्ट पेशेंट व सीनियर सिटीजन परेशान, होकर पुलिस को फोन करते हैं। जो एक औपचारिकता के नाते रटा रटाया डायलाग बोलते है कि, डी०जे० अभी चेतक भेजकर बंद करवाते है वैसे भी सर्वोच्च न्यायलय का, आदेश है कि किसी धार्मिक आयोजन में रात्रि 10 बजे के बाद डी० जे० नहीं बज सकता यहाँ सर्वोच्च न्यायलय के आदेश भी बैमाने हैं। गँगा पार रोडी बेलवाला और पतंद्वीप में पूरी रात पूरे वाल्यूम पर डी० जे० बजते है और उस पर नशे में धुत कथित कॉवडिये फूहड व अश्लील नृत्य कर नशापान करते हैं। पुलिस बेचारी इनकी जी हजूरी में लगी रहती है।
दरअसल केन्द्र से प्रदेश सरकारें तक हिन्दू वोट कार्ड के लिए स्थानीय का शोषण कर उन्हे बलि का बकरा बनाने में मूक व बहरी बनी हैं। व्यापार मंडल की कोई पूछ करने वाला नहीं इनके कुछ कथित नेता पुलिस व अधिकारियों के दरबारी भाट व चारण हैं। हरिद्वार के जनप्रतिनिधि गूंगे, बहरे होकर अपने ए० सी० बंगलो मे अराम कर रहे हैं। शहर की गन्दगी से भी दुर्दशा हैं।
कुल मिलाकर कटु सत्य यह है कि नक्कार खाने में तूती की आवाज सुनने वाला कोई नहीं। हरिद्वार से मुरादनगर तक जनता दहशत मय और खौफ़ में जी रही हैं, और नीरो बाँसुरी बजा रहा रह हैं। अभी डाककांवड में क्या क्या गुण्डागर्दी होगी ईश्वर जाने।